केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, बोर्ड बनाने के लिए नहीं कहा जा सकता
गाँव कनेक्शन 3 Oct 2016 10:56 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। कावेरी जल विवाद पर पहली बार अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन करने के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता, लेकिन वह एक तकनीकी पैनल का गठन कर रहा है ताकि कर्नाटक एवं तमिलनाडु के बीच के टकराव को खत्म करने के लिए जमीनी वास्तविकताओं आकलन किया जा सके।
आदेश में सुधार का अनुरोध
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार से कहा कि वह मंगलवार दोपहर तक रिपोर्ट पेश कर उसे सूचित करे कि क्या उसने 30 सितंबर के न्यायिक निर्देश के अनुरुप तमिलनाडु के लिये कावेरी नदी से जल छोड़ा है। इस बीच, केंद्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में एक अर्जी दाखिल कर न्यायालय से अपने पहले के उस आदेश में सुधार का अनुरोध किया है जिसमें उसे मंगलवार तक कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया था।
आज होगी याचिका पर सुनवाई
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि इस बोर्ड का गठन करने के लिये केंद्र से नहीं कहा जाना चाहिए था क्योंकि इस मसले पर मुख्य दीवानी अपील अभी भी लंबित है और बोर्ड का गठन करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आती है. केंद्र ने कहा कि जैसा कि अधिकरण ने सुझाव दिया और इस अदालत ने 20 सितम्बर को आदेश दिया, उस तरह से कानून में बोर्ड के गठन पर विचार नहीं किया गया तथा 1956 के अधिनियम के तहत केंद्र सरकार को इस तरह के बोर्ड के गठन की शक्ति नहीं है और इसमें फैसला संसद का होगा। न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ केंद्र सरकार की अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।
दे चुका है तीन न्यायिक आदेश
देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने 30 सितंबर के आदेश पर अमल के बारे में कर्नाटक सरकार से कल अपराह्न दो बजे तक रिपोर्ट मांगी है। शीर्ष अदालत ने 30 सितंबर को कर्नाटक को निर्देश दिया था कि वह एक से छह अक्टूबर के दौरान तमिलनाडु को छह हजार क्यूसेक जल की आपूर्ति करे। साथ ही न्यायालय ने आगाह किया था कि किसी को यह पता नहीं होता है कि कब वह कानून के कोप का शिकार होगा। न्यायालय ने केंद्र को भी कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि एक बार यह बोर्ड गठित हो जाने पर इसका दल मौके का निरीक्षण करके वस्तुस्थिति का अध्ययन करेगा और फिर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। कर्नाटक ने तमिलनाडु को कावेरी जल छोड़े जाने के बारे में 20, 27 और 30 सितंबर के तीन न्यायिक आदेशों और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का केंद्र को निर्देश दिये जाने पर पुनर्विचार के लिये एक अक्टूबर को न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
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